समय समय पर अपना रंग बदलने वाले लोग आज समय के बदलने से परेशान क्यों हैं।
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आज के समय के अनुसार कुछ शब्दों को कविता का रुप देने की कोशिश कर रही हूँ।कोई गलती हो तो माफ़ कीजियेगा अगर हो सके तो गलती बता दीजिएग ताकि मैं उसे सुधार सकूँ।
वक्त की एक खासियत तो सब जानते हैं
कि चलता है चलता है बस चल रहा है
पर आज वक्त की एक खासियत सामने आई है
कि सबका एक जैसा चल रहा है
क्या अमीर क्या गरीब सब छिपे बैठे हैं
बाहर तो बस कोरोना ही चल रहा है
क्या ऐसा नहीं लगता कि सब कुछ रुक सा गया है
वक्त का भी तो रंग रूप बदल गया है
चलते चलते वक्त ने एक बात तो सिखाई है
अपने लिए न सही अपनों के लिए भी रुकना पड़ता है।
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आज के समय के अनुसार कुछ शब्दों को कविता का रुप देने की कोशिश कर रही हूँ।कोई गलती हो तो माफ़ कीजियेगा अगर हो सके तो गलती बता दीजिएग ताकि मैं उसे सुधार सकूँ।
वक्त की एक खासियत तो सब जानते हैं
कि चलता है चलता है बस चल रहा है
पर आज वक्त की एक खासियत सामने आई है
कि सबका एक जैसा चल रहा है
क्या अमीर क्या गरीब सब छिपे बैठे हैं
बाहर तो बस कोरोना ही चल रहा है
क्या ऐसा नहीं लगता कि सब कुछ रुक सा गया है
वक्त का भी तो रंग रूप बदल गया है
चलते चलते वक्त ने एक बात तो सिखाई है
अपने लिए न सही अपनों के लिए भी रुकना पड़ता है।
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